Credits
PERFORMING ARTISTS
Kalyug
Performer
Rexy
Performer
Deepak Kumar
Keyboards
COMPOSITION & LYRICS
Lucky Thapa
Composer
PRODUCTION & ENGINEERING
Lucky Thapa
Producer
Lyrics
मैं एक इंसान, पर सोच अधूरी है
धर्म की बातें करता हूँ, पर हरकतें ज़रूरी हैं।
चिलम में भरता धुआँ, और खुद को खोता हूँ,
भोले के नाम पर मैं अपने दिल को धोता हूँ।
मंदिर के बाहर हूँ, भीतर नहीं जाता,
ना ध्यान, ना जाप, बस दिखावा करवाता।
राम का नाम लेकर, गुनाहों को छिपाता हूँ,
भीतर के रावण को फिर भी बचाता हूँ।
(हाँ)
महिलाओं का सम्मान, बस जुबानी बात है,
पर मन में बसी गंदगी मेरी असल जात है।
बाहर रोकता बहन को, पर खुद आवारा फिरता हूँ,
दूसरों पर सवाल, खुद से नज़रें चुराता हूँ।
मांस खाकर प्रेम की बातें करता हूँ,
गाय माता का भक्त, पर सच्चाई से डरता हूँ।
जो मैं दूसरों से चाहता, खुद क्यों ना निभाऊँ,
जुड़ता हूँ समाज से, पर खुद को ना बदल पाऊँ।
सच्चा धर्म वही है जो इंसानियत सिखाए,
जहाँ हर प्राणी जी सके, कोई ना सताए।
जो भीतर की बुराई को हर दिन मिटाए,
और अपने कर्मों से दूसरों को राह दिखाए।
अब बदलने का वक्त है, खुद से शुरू करूँ,
हर दिन नया बनूँ, और सच को अपनाऊँ।
श्रीकृष्ण के आने का क्यों इंतज़ार करें,
हम सब मिलकर समाज को संवारें।
Written by: Lucky Thapa