Top Songs By Ismail Azad Qawwal
Credits
PERFORMING ARTISTS
Ismail Azad Qawwal
Performer
COMPOSITION & LYRICS
Bulo C Rani
Composer
Shevan Rizvi
Songwriter
PRODUCTION & ENGINEERING
Bulo C Rani
Producer
Lyrics
हमें तो लूट लिया मिल के हुस्न वालों ने
काले-काले बालों ने, गोरे-गोरे गालों ने
(हमें तो लूट लिया मिल के हुस्न वालों ने)
(काले-काले बालों ने, गोरे-गोरे गालों ने)
नज़र में शोख़ियाँ और बचपना शरारत में
अदाएँ देख के हम फँस गए मोहब्बत में
हम अपनी जान से जाएँगे जिनकी उल्फ़त में
यक़ीन है कि ना आएँगे वो ही मय्यत में
ख़ुदा सवाल करेगा अगर क़यामत में
तो हम भी कह देंगे, हम लुट गए शराफ़त में
हमें तो लूट लिया मिल के हुस्न वालों ने
काले-काले बालों ने, गोरे-गोरे गालों ने
(हमें तो लूट लिया मिल के हुस्न वालों ने)
(काले-काले बालों ने, गोरे-गोरे गालों ने)
वहीं-वहीं पे क़यामत हो वो जिधर जाएँ
झुकी-झुकी हुई नज़रों से काम कर जाएँ
तड़पता छोड़ दे रस्ते में और गुज़र जाएँ
सितम तो ये है के दिल ले लें और मुकर जाएँ
समझ में कुछ नहीं आता के हम किधर जाएँ
यही इरादा है ये कह के हम तो मर जाएँ
हमें तो लूट लिया मिल के हुस्न वालों ने
काले-काले बालों ने, गोरे-गोरे गालों ने
(हमें तो लूट लिया मिल के हुस्न वालों ने)
(काले-काले बालों ने, गोरे-गोरे गालों ने)
वफ़ा के नाम पे मारा है बेवफ़ाओं ने
के दम भी हम को ना लेने दिया जफ़ाओं ने
ख़ुदा भुला दिया इन हुस्न के ख़ुदाओं ने
मिटा के छोड़ दिया इश्क़ की ख़ताओं ने
उड़ाया होश कभी ज़ुल्फ़ की हवाओं ने
हया-ए-नाज़ ने लूटा तभी अदाओं ने
हमें तो लूट लिया मिल के हुस्न वालों ने
काले-काले बालों ने, गोरे-गोरे गालों ने
(हमें तो लूट लिया मिल के हुस्न वालों ने)
(काले-काले बालों ने, गोरे-गोरे गालों ने)
हज़ारों लुट गए नज़रों के एक इशारे पर
हज़ारों बह गए तूफ़ान बनके धारे पर
ना इनके वादों का कुछ ठीक है, ना बातों का
फ़साना होता है इनका हज़ार रातों का
बहुत हसीन है वैसे तो भोलपन इनका
भरा हुआ है मगर ज़हर से बदन इनका
ये जिसको काट ले पानी वो पी नहीं सकता
दवा तो क्या है दुआ से भी जी नहीं सकता
इन्हीं के मारे हुए हम भी हैं ज़माने में
है चार लफ़्ज़ मोहब्बत के इस फ़साने में
हमें तो लूट लिया मिल के हुस्न वालों ने
काले-काले बालों ने, गोरे-गोरे गालों ने
(हमें तो लूट लिया मिल के हुस्न वालों ने)
(काले-काले बालों ने, गोरे-गोरे गालों ने)
ज़माना इनको समझता है नेक और मासूम
मगर ये कहते हैं, "क्या हैं, किसी को क्या मालूम"
इन्हें ना तीर, ना तलवार की ज़रूरत है
शिकार करने को काफ़ी निगाहें उल्फ़त हैं
हसीन चाल से दिल पायमाल करते हैं
नज़र से करते हैं बातें कमाल करते हैं
हर एक बात में मतलब हज़ार होते हैं
ये सीधे-सादे बड़े होशियार होते हैं
ख़ुदा बचाए हसीनों की तेज़ चालों से
पड़े किसी का भी पाला ना हुस्न वालों से
हमें तो लूट लिया मिल के हुस्न वालों ने
काले-काले बालों ने, गोरे-गोरे गालों ने
(हमें तो लूट लिया मिल के हुस्न वालों ने)
(काले-काले बालों ने, गोरे-गोरे गालों ने)
हुस्न वालों में मोहब्बत की कमी होती है
चाहने वालों की तक़दीर बुरी होती है
उनकी बातों में बनावट ही बनावट देखी
शर्म आँखों में, निगाहों में लगावट देखी
आग पहले तो मोहब्बत की लगा देते हैं
अपनी रुख़सार का दीवाना बना देते हैं
दोस्ती कर के फिर अंजान नज़र आते हैं
सच तो ये है के बेईमान नज़र आते हैं
मौतें कम नहीं दुनिया में मोहब्बत इनकी
ज़िंदगी होती बर्बाद बदौलत इनकी
दिन बहारों के गुज़रते हैं मगर मर-मर के
लुट गए हम तो हसीनों पे भरोसा करके
हमें तो लूट लिया मिल के हुस्न वालों ने
काले-काले बालों ने, गोरे-गोरे गालों ने
(हमें तो लूट लिया मिल के हुस्न वालों ने)
(काले-काले बालों ने, गोरे-गोरे गालों ने)
Writer(s): Ismail Azad
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