Texty

अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख़्वाबों में मिलें अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख़्वाबों में मिलें जिस तरह सूखे हुए फूल किताबों में मिलें अब के हम बिछड़े तो शायद ढूँढ उजड़े हुए लोगों में वफ़ा के मोती ढूँढ उजड़े हुए लोगों में वफ़ा के मोती ये ख़ज़ाने तुझे मुमकिन है ख़राबों में मिलें अब के हम बिछड़े तो शायद तू ख़ुदा है न मिरा इश्क़ फ़रिश्तों जैसा तू ख़ुदा है न मिरा इश्क़ फ़रिश्तों जैसा दोनों इंसाँ हैं तो क्यूँ इतने हिजाबों में मिलें? जिस तरह सूखे हुए फूल किताबों में मिलें अब के हम बिछड़े तो शायद ग़म-ए-दुनिया भी ग़म-ए-यार में शामिल कर लो ग़म-ए-दुनिया भी ग़म-ए-यार में शामिल कर लो नश्शा बढ़ता है शराबें जो शराबों में मिलें अब के हम बिछड़े तो शायद अब न वो मैं हूँ न तू है न वो माज़ी है 'फ़राज़' अब न वो मैं हूँ न तू है न वो माज़ी है 'फ़राज़' जैसे दो छाए तमन्ना के सराबों में मिलें जिस तरह सूखे हुए फूल किताबों में मिलें अब के हम बिछड़े तो शायद
Writer(s): Mehdi Hassan Lyrics powered by www.musixmatch.com
instagramSharePathic_arrow_out