Top Songs By Mohammed Aziz
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Credits
PERFORMING ARTISTS
Mohammed Aziz
Performer
COMPOSITION & LYRICS
Ram Shankar
Composer
Anwar Farukhabadi
Lyrics
Lyrics
कोई जहाँ में मेरी तरह बेक़रार ना हो
ख़ुदा करे कि किसी को किसी से ना प्यार हो
वो जान क्या जो तेरी बेरुख़ी पे हो ना फ़िदा?
वो दिल ही क्या जो तेरे हुस्न पे निसार ना हो?
बेवफ़ा, तेरा मासूम चेहरा
बेवफ़ा, तेरा मासूम चेहरा
भूल जाने क़ाबिल नहीं है
भूल जाने क़ाबिल नहीं है
(बेवफ़ा, तेरा मासूम चेहरा)
(बेवफ़ा, तेरा मासूम चेहरा)
(भूल जाने क़ाबिल नहीं है)
(भूल जाने क़ाबिल नहीं है)
बेवफ़ा, तेरा मासूम चेहरा
भूल जाने क़ाबिल नहीं है
बेवफ़ा, तेरा मासूम चेहरा
भूल जाने क़ाबिल नहीं है
तू बहुत ख़ूबसूरत है लेकिन
तू बहुत ख़ूबसूरत है लेकिन
दिल लगाने के क़ाबिल नहीं है
दिल लगाने के क़ाबिल नहीं है
(बेवफ़ा, तेरा मासूम चेहरा)
(भूल जाने क़ाबिल नहीं है)
(भूल जाने क़ाबिल नहीं है)
मैंने पूछा कि कल शब कहाँ थे
पहले शर्माए, फिर हँस के बोले
(मैंने पूछा कि कल शब कहाँ थे)
(पहले शर्माए, फिर हँस के बोले)
ये भी है कल की बात, ज़रा ये बताइए
था इसमें किसका हाथ, ज़रा ये बताइए?
अरे, कैसे गुज़ारी रात, ज़रा ये बताइए
कल शब थे किसके साथ, ज़रा ये बताइए?
मैंने पूछा कि कल शब कहाँ थे
पहले शर्माए, फिर हँस के बोले
"आप वो बात क्यूँ पूछते हैं
आप वो बात क्यूँ पूछते हैं
जो बताने क़ाबिल नहीं है
जो बताने क़ाबिल नहीं है"
(बेवफ़ा, तेरा मासूम चेहरा)
(भूल जाने क़ाबिल नहीं है)
(भूल जाने क़ाबिल नहीं है)
बोझ पड़ते ही नाज़-ओ-अदा का
शर्म से झुक गयी हैं निगाहें
(बोझ पड़ते ही नाज़-ओ-अदा का)
(शर्म से झुक गयी हैं निगाहें)
मेरी निगाह आज बड़ा काम कर गई
चेहरे पे उसके शर्म की लाली बिख़र गई
अरे, नाज़-ओ-अदा से हुस्न की दुनिया सँवर गई
अरे, शर्म-ओ-हया से और जवानी निखर गई
बोझ पड़ते ही नाज़-ओ-अदा का
शर्म से झुक गयी हैं निगाहें
अब तो तेरी ये चंचल जवानी
अब तो तेरी ये चंचल जवानी
सर उठाने के क़ाबिल नहीं है
सर उठाने के क़ाबिल नहीं है
(बेवफ़ा, तेरा मासूम चेहरा)
(भूल जाने क़ाबिल नहीं है)
(भूल जाने क़ाबिल नहीं है)
जब कहा, बेवफ़ा, उनको अनवर
ज़ुल्फ़ की तरह बलखाके बोले
(जब कहा, बेवफ़ा, उनको अनवर)
(ज़ुल्फ़ की तरह बलखाके बोले)
"जिस दिल पे नाज़ था मुझे वो दिल नहीं रहा
फिर भी मैं उनकी याद से ग़ाफ़िल नहीं रहा
लेकिन वो एक बात पे ऐसे ख़फ़ा हुए
अरे, कहने लगे ये प्यार के क़ाबिल नहीं रहा "
जब कहा, बेवफ़ा, उनको अनवर
ज़ुल्फ़ की तरह बलखाके बोले
इसको फाँसी लगा दो, ये आशिक़
इसको फाँसी लगा दो, ये आशिक़
रहम खाने के क़ाबिल नहीं है
रहम खाने के क़ाबिल नहीं है
(बेवफ़ा, तेरा मासूम चेहरा)
(भूल जाने क़ाबिल नहीं है)
(भूल जाने क़ाबिल नहीं है)
तू बहुत ख़ूबसूरत है लेकिन
दिल लगाने के क़ाबिल नहीं है
दिल लगाने के क़ाबिल नहीं है
Written by: Anwar Farukhabadi, Ram Shankar